प्रगल्भा “मेम, हमें नाम लिखवाना है.” घनानन्द की आंसुओं में डूबी कविताओं वाली क्लास अभी-अभी खत्म हुई ही है. मैंने स्टाफ रूम में आ कर अभी राहत की साँस भी नहीं ली है कि ये सिरदर्द सिर पर आ खड़ी हुई. लेकिन सांस्कृतिक समिति की संयोजक हूँ सो यूथ वीक करवाना ओर उसकी कॉम्पिटिशन्स के लिए नाम लिखना भी जिम्मेदारी है. अब आने वाला सप्ताह इसी धांय-धूंय में गुजरने वाला है. ‘पर्स में डिस्प्रिन का पत्ता रख ले सुलक्षणा’ मैंने खुद को कहा, ‘डांस में तो आधा कालेज कूदेगा.’ “किस कॉम्पटीशन में पार्ट लोगी, क्विज में या डिबेट में? नोटिस