जी-मेल एक्सप्रेस - 34

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जी-मेल एक्सप्रेस अलका सिन्हा 34. पहचान परेड मैंने देखा, जांच कक्ष के भीतर वाले हिस्से में चरित को लिटा रखा था, नीली बत्ती ठीक उसकी आंखों के सामने थी। आत्मसाक्षात्कार की अवस्था में वह खुद से संवाद कर रहा था। ‘‘...तब मैं नाइन्थ में पढ़ता था। ‘रूबी मैम’ मुझे इंगलिश पढ़ाती थीं। रूबी मैम के कारण ही मेरा रुझान अंगरेजी कविता की तरफ हुआ और उसी उम्र से मेरी कविताएं स्कूल मैगजीन में प्रकाशित होने लगीं। मैं स्कूल की गतिविधियों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेने लगा जिससे स्कूल में मेरी अलग पहचान बनने लगी। रूबी मैम मुझे खूब प्रोत्साहित करतीं, समय