जी-मेल एक्सप्रेस - 33

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जी-मेल एक्सप्रेस अलका सिन्हा 33. मैं क्वीना से मिलना चाहता हूं... मैं अवाक् उसकी तरफ देख रहा था। उसकी आंखें मुझ पर टिकी हुई थीं, जैसे वह पूरी दृढ़ता के साथ अपनी जिंदगी के उस काले अध्याय को स्वीकारने का सामर्थ्य जुटा रहा हो। मैंने धीरे से उसके कंधे पर हाथ रखा तो वह और भी फूट पड़ा। ‘‘बहुत छोटा था तब मैं, जब मां मुझे डे-बोर्डिंग में छोड़ जाती थी...’’ वह बताने लगा, ‘‘मेरी मां उस जमाने में कलकत्ता मेडिकल कॉलेज में मनोविज्ञान पढ़ाने जाती थी।’’ उसने अंदाजे से बताया कि यह कोई तीस साल पुरानी बात होगी, तब