अहसास बरसों बाद रामेश्वर मिला। मुलाकात रेलवे स्टेशन पर हुई थी। मैं छोटे भाईको छोड़ने गया था। वही वह दिखा। किसी सरकारी काम से आया था । सुबह हीआया था और अब वापस जा रहा है। उसने यह बताया था कि उसे पता ही नहीं था किमैं यहां हूं। जबकि मैं जानता था कि उसे यह मालूम था । मेरा पता और फोननंबर नोट करके भाई को हल्का सा विश करके अगली बार आने पर घर आने का कहकरसीट पर पहुंचने की प्रक्रिया में लग गया। छोटा भाई उसे पहचानता था पर वहकुछ नहीं बोला । जब हटा तो बोला