कश्मीरियत के सौ सालों की दास्तां “रिफ्यूजी कैंप”

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आशीष कौल व्हाइट शर्ट में ब्लैक टाई लगाए कोई मार्केटिंग या पीआर एजेंसी का हिस्सा नहीं हैं, जो दावा करें कि हमने नई किस्म की खुशबूदार बोतल या फिर कोई मौजे या टूथपेस्ट, बाजार में उतारे हैं. उन्होंने तो बस लिखने का तरीका बदला है, उन्होंने महज़ एक कहानी इत्मीनान से स्टडी रूम में बैठकर नहीं लिखी. उन्होंने किसी प्रेम की दास्तां को सेक्स और तीखेपन में नहीं परोसा है, उन्होंने अपनी कलम में वो धार दोबारा पैदा की जो 70 और 80 के दशकों तक आते- आते कहीं खो गई थी, यह सच है कि ‘जिस दिन छूट नहीं