होने से न होने तक - 11

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होने से न होने तक 11. चलने से पहले आण्टी ने एक लिफाफा मेरी तरफ बढ़ाया था। ‘‘यह क्या है आण्टी ?’’मैंने पूछा था। ‘‘यह चार हज़ार रुपए हैं। नौकरी ज्वायन करने से पहले अपने कुछ कपड़े बनवा लो। पर्स,दो तीन जोड़ी चप्पलें या और जो कुछ लेना हो।’’ सुबह ही मैं अपने कपड़ो को लेकर उलझी हुयी थी। आण्टी को कोई रुहानी ख़बर हो गई क्या ? इस समय आण्टी का पैसा देना मुझे अच्छा लगा था फिर भी अजब सा संकोच महसूस हुआ था,‘‘इसकी क्या ज़रुरत थी?’’ उन्होने डॉटती निगाह से मेरी तरफ देखा था और लगभग डपट