सीप में बंद घुटन.... - 2 - अंतिम भाग

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सीप में बंद घुटन.... ज़किया ज़ुबैरी (ब्रिटेन) (2) “अब मेरा यही काम रह गया है कि मै तेरा जी बहलाऊं.....? मज़दूरी तू करेगा..?.तेरे पेट का नरख कौन भरेगा..?” एयर कन्डीशन कमरे मे गदीले क़ालीन कि तह जूतों के नीचे दबाकर बैठे बैठे चाय और कॉफ़ी के साथ सिगरेट का धुआं उड़ाते और घंटी बजा बजा कर लम्बी गोरी सुनहरे बालों वाली और काली पतली कमर वाली.... आगे पीछे से गोल गोल शरीर वाली सेक्रेट्रियों को बार बार कमरे मे बुलाकर ख़िदमत करवाने को दामोदर मज़दूरी करना कहता था. पर बोलता ऐसे था जैसे...सीधा झोपड़पट्टी से उठ कर आया हो. शायद वो आख़िरी दिन था