कविता - प्रेरक कविता

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"सपनो की जिंदगी " (क्या मे कर बैठा )ये खूबसूरत ज़िन्दगी हे मेरी बन गया मे गुलाम उसका भूल गया जीना मे इसको खो बैठा फिर मिली नही वो ज़िन्दगी, चाहता था कुछ पा लेना समझ नही पाया अर्थ उसका मान बैठा हार उससे मे पूरी समय नहीं बचा कुछ करने को | (समझा इस कदर )कभी न रुकने वाली ज़िन्दगी मान बैठा मे गुलाम उसको दोस्त थी वो मेरी उम्र