सुकून

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सुकून “पापा..... पापा..... अरे मुग्द्धा, पापा को कहीं देखा है क्या? अपने कमरे में नहीं हैं। बाहर लॉन में भी नहीं हैं। कहां गए?" "अरे वहीं कहीं होंगे। ठीक से देखो, जाएंगे कहां इस वक्त," मुग्धा ने तनिक खीजते हुए कहा। कि तभी अनय की नजर अनिमेष जी के कमरे में उनकी टेबल पर रखे हुए पत्र पर पड़ी । प्रिय अनय बेटा, कुछ दिनों के लिए आबोहवा बदलने मैं कहीं दूर जा रहा हूं। समय-समय पर अपनी कुशलता का समाचार तुम्हें देता रहूंगा। मुग्द्धा बेटी के साथ पहले की तरह हंसी खुशी रहना और मेरे घर छोड़ने