दाई की माला

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दाई की माला ------------ आज नन्ही मीनू सत्तर वर्ष की वृद्धा हो चली है |हँसी आती है न सत्तर वर्ष की उम्रदराज़ स्त्री को नन्ही मीनू कहते हुए | कभी तो सब ही नन्हे-मुन्ने होते ही हैं ,फिर संकोच कैसा? नाती-पोतों वाली मीनू अपनी तीसरी पीढ़ी को बहुत कुछ बताना चाहती है | बहुत सी बातें शेयर करना चाहती है किन्तु तीसरी पीढ़ी को मोबाईल और लैपटॉप जैसे झुंझुने से फ़ुर्सत ही नहीं है | उसका मन कभी द्रवित हो जाता है ,यह सोचकर कि जो चीज़ें या बातें उनकी पीढ़ी के पास आज तक