डार्क मैन स बैड - गीता पंडित

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कवि मन जब कभी भी कुछ रचता है बेशक वो गद्य या फिर पद्य में हो, उस पर किसी ना किसी रूप में कविता का प्रभाव होना लगभग अवश्यंभावी है। ऐसा वो जानबूझ कर नहीं करता बल्कि स्वत: ही कुदरती तौर पर ऐसा होता चला जाता है। ऐसा ही कुछ मुझे महसूस हुआ जब मैंने गीता पंडित जी का उपन्यास "डार्क मैन'स बैड" पढ़ना शुरू किया। गीता पंडित जी से मेरा परिचय ब्लॉग के ज़माने से है। उस वक्त मेरे लिए उनकी पहचान एक नवगीतकार की थी। कई बार साहित्यिक गोष्ठियाँ में अक्सर उनसे मुलाकात हो जाया करती थी। बहुत