कर्म पथ पर - 22

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कर्म पथ पर Chapter 22खाना खाने के बाद जय ने मालती से कहा,"बहुत ही स्वादिष्ट खाना था। तुम्हारी अम्मा ने बनाया था।""खाना अम्मा ही बनाती हैं। मैं कभी कभी उनकी मदद कर देती हूँ।""अपनी अम्मा को मेरे और मेरे साथी की तरफ से धन्यवाद देना। उनसे कहना कि मैं उनसे कुछ बात करना चाहता हूँ।"संतोषी आड़ में खड़ी जय की बात सुन रही थी। उसने आड़ में रहते हुए ही कहा,"मेहमान को भोजन कराना तो हमारी