बहीखाता - 39

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बहीखाता आत्मकथा : देविन्दर कौर अनुवाद : सुभाष नीरव 39 प्लैन जसबीर ने हम दोनों को अमेरिका आने का निमंत्रण दिया हुआ था। वह अपनी सहेली से चंदन साहब को भी मिलवाना चाहती थी, पर चंदन साहब आज कल कुछ दूसरी ही हवाओं में उ़ड़े फिरते थे। पहले तो वह मेरे साथ अमेरिका जाने के लिए राजी हो गए थे, पर अब जब से मुम्बई से वापस लौटे थे, कहानी बदल चुकी थी। अमेरिका जाने का विचार उन्होंने रद्द कर दिया। चंदन साहब ने पहले मुझे मैंटली टॉर्चर किया। कभी रीमा की बातें करके और कभी मुझे पागल होने, बीमार