लाल पलाश

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(भोजपुरी बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश के एक बड़े भूभाग में बोली जाने वाली भाषा है। तीन कविताओं के बाद एक पटनहिया और अंत में भोजपुरी की एक कविता सुधी पाठकों के लिए नीचे संकलित हैं।)१. लाल पलाशकितने वर्षों के बाद आजफिर धवल दिखा आकाश,साफ हवा में दिखा,दूर वह फूला लाल पलाश।बिना धुएं में लिपटी- सिमटी,आम - बौर की महक आ रही,वाहन गायब, शोर थमा है, वीरां सड़कें, अजब समां है, गौरइया की चिर-चिर, चिर-चिर,कोयल खुश हो खूब गा रही।मौसम ने भी करवट ले ली,सूर्य फेंकते प्रखर प्रकाश।दूर वह फूला लाल पलाश…दिन भर तो कमरों में काटा,गजब रात का है सन्नाटा,आसमान बदला-बदला है,चांद