जी-मेल एक्सप्रेस - 29

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जी-मेल एक्सप्रेस अलका सिन्हा 29. वासना, संभोग और समाधि यह भी अच्छा हुआ कि अभिषेक इन दिनों अपने दोस्तों के साथ देहरादून में है जिससे मैं विनीता के साथ खुलकर अपनी बात कह पाया, वरना परसों रात जिस तरह मैं फफक पड़ा था, अगर उस वक्त अभिषेक भी घर में होता तो बातें उससे भी कहां छुप पातीं और तब मैं कहां मुंह छुपाता। एक ओर मैं जहां अभिषेक की अनुपस्थिति से निश्चिंत हुआ था वहीं दूसरी ओर उसकी कमी को भी बेतरह अनुभव कर रहा था। शायद ऐसी किसी घड़ी में हर बाप अपने बेटे का कंधा तलाशता है।