खुशी

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जीवन की भागमभाग होड़ में खुशी का कोई ठिकाना ना रहा इंसान जीवन के संपूर्ण खुशी के लिए उन मुसाफिरों की दौड़ में लग गया जहां इस संसार की दौड़ ना कभी खत्म होती है और ना कभी रुकती है| इंसान अपनी जिंदगी को खदेड़ता जा रहा है, जैसे जीवन के कुछ पल रह गए हो, कभी ना रुकने वाली इस खूबसूरत जिंदगी में वह खुशी के भाव को ही भूल बैठा है |दुखो, चिंताओं,धन दौलत, गरीबी से परेशान होकर भी इंसान जीवन को आगे बढ़ा रहा उसे कभी सुखी होने का मौका ही नहीं मिला, क्रोध अहंकार घृणा की