पौधे से कहो, मेरे जन्मदिन पर फूल दे - 2

  • 5.7k
  • 1.7k

पौधे से कहो, मेरे जन्मदिन पर फूल दे नीला प्रसाद (2) मां- बेटी के रिश्ते में जो प्रगाढ़ता दिनों- दिन गहरी होती जानी थी, उसे खत्म करने की जिम्मेदार, इस अनूठे रिश्ते की आत्मा के कत्ल की गुनहगार थी मैं!! मैं उदास हो गई. ये दास्तान कुछ अलग तरह से लिखी जा सकती थी. ऐसा बिल्कुल संभव था कि बेटी जैसे- जैसे बड़ी हो, मेरा- उसका दोस्ताना बढ़ता जाय. मैं और बेटी एक दूसरे के ज्यादा करीब होते जाएं.मेरा उससे तेरह साल, सवा आठ महीनों का नाता था- यानी जबसे वह मेरे पेट में आई, तबसे. जाने कितने तो सपने