जब भी बालक निकले घर से,काजल दही टीका कर सर पे,अपनी सारी दुआओं को,चौखट तक छोड़ आती है,धरती पे माँ कहलाती है।फिर ऐसा होता एक क्षण में,दुलारे को सज्ज कर रण में,खुद हीं लड़ जाने को तत्तपर,स्वयं छोड़ हीं आती है,धरती पे माँ कहलाती है।जब बालक युवा होता है ,और प्रेम में वो पड़ता है ,उसके बिन बोले हीं सब कुछ,बात समझ वो जाती है ,धरती पे माँ कहलाती है।बड़ी नाजों से रखती चूड़ियां,गुड्डे को ला देती गुड़िया,सोने चाँदी गहने सारे ,हाथ बहु दे जाती है,धरती पे माँ कहलाती है।जब बच्चा दुल्हन संग होता ,माता को सुख दुःख भी होता