पौधे से कहो, मेरे जन्मदिन पर फूल दे नीला प्रसाद (1) वह सुबह से अपने कमरे में लैपटॉप पर व्यस्त है. मुझसे बात करने भी नहीं आ रही. कोई उदास करने वाली बेचैनी मुझे अपनी गिरफ्त में लेती जा रही है. हर मदर्स डे पर मुझसे आकर लिपट जाने और जेब-खर्च के नाममात्र पैसों से मुझे कुछ- न- कुछ खरीद कर देने वाली मेरी बेटी आज तो मुझे कोई भाव ही नहीं दे रही, मानो उसे याद तक न हो कि आज मदर्स डे है. “ओ बित्ती, ता तलती तू!.”, मैंने रोज की तरह दुलार में पुकार कर बात शुरू