"कूकडू --कू--------?सरदार तारासिंह यात्रियों के टिकट चेक कर रहा था,तभी उसे मुर्गे कीआवाज सुनाई पडी। आवाज सुनकर तारासिंह समझ गया, कोई यात्री मुर्गा साथ लेकर ट्रेन मे सफर कर रहा है।"मुर्गा किसके पास है?"तारासिंह ने नजरें घुमाकर चारों तरफ देखा था, लेकिन कोई नहीं बोला।तब वह स्वयं मुर्गे की तलाश मे जुट गया।कुछ प्रयास के बाद उसने मुर्गा साथ लेकर चल रहे यात्री को खोज निकाला।तारासिंह यात्री के पास जाकर बोला,"कया नाम है तुम्हारा?""रहमान"।उस यात्री ने अपना नाम बताया था।"मुर्गे को अपने साथ लेकर यात्रा नही कर सकते।""बाबूजी रिश्तेदारी मे आगरा आया था।मुर्गा पसंद आ गया, तो बलि के लिये