सवाल लहराती…बलखाती ढेढ सयानी मूंछ का आज घड़ी-घड़ी रह-रह कर मेरे दिल में ये अजब-गजब सा सवाल उमड़ रहा है कि जो भी हुआ..जैसा भी हुआ...क्या वो सही हुआ? अगर सही नहीं हुआ तो फिर सही क्यों नहीँ हुआ या फिर अगर यही सही था तो फिर यही सही क्यों था?उस ऊपर बैठे परम पिता परमात्मा से ऐसी कौन सी जन्मजात दुश्मनी थी मेरी जो मेरे साथ उसने ऐसा भेद भरा बरताव किया? मुझे लड़की बनाने के बजाय लड़का बना आख़िर किस जन्म का बदला ले रहा है वो नामुराद मुझसे? अगर लड़की बना, इस दीन-हीन दुनिया में वो मुझे मौज-मस्ती