बिद्दा बुआ - 1

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बिद्दा बुआ (1) आवाज बुआ की ही थी, जिन्हें सारा गांव बिद्दा बुआ कहकर पुकारता है "उठो भाइयो भोर भया, कुछ काम करो मत सोओ तुम. जो सोवत है सो खोवत है, जो जागत है सो पावत है." पूरे छः महीने बाद गांववालों को उनकी आवाज सुनाई पड़ी है. छः महीने अपने भतीजे गोपाल के पास जमशेदपुर में गुजारकर वे रात ही लौटी थीं, लेकिन किसी को पता न चल पाया था. ऎसा पहली बार हुआ था. नहीं तो बुआ कहीं बाहर से आएं, चाहे भतीजे के पास जमशेदपुर से या मामा के पोते रमेश के पास भोपाल से, आते