रात का सूरजमुखी - 10

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रात का सूरजमुखी अध्याय 10 बेसन नगर के सरकारी अस्पताल के खुले बरामदे में चल रहे थे इंस्पेक्टर उनके पीछे सुबानायकम्, राघवन, कल्पना, बापू परेशान चेहरे से सबसे पीछे पीछे जा रहे थे। उनके बीच में मरुभूमि जैसे मौन व्याप्त था। पाँच मिनट चलने पर शवगृह आ गया। दरवाजा बंद था। वहां काम करने वाला दरवाजे का सहारा लेकर बैठा हुआ बीड़ी पी कर धुंआ उड़ा रहा था। इन्हें देख कर बीड़ी को फेंक कर जल्दी से उठ खड़ा हुआ। अपने दोनों हाथों को छाती से बांधकर खड़ा हुआ। "दरवाजा खोलो...." इंस्पेक्टर के बोलते ही उसने पेंट उतरे हुए दरवाजे