रात का सूरजमुखी अध्याय 6 रात के 10:00 बजे। शांता टीवी को बंद कर सोने जा रही थी तभी कॉलबेल बजा-बाहर जाकर दरवाजा खोला। बाहर- आधे अंधेरे में बापू खड़ा था। शांता मुस्कुराई। "अरे आप ? आइएगा-----पिछले दो दिनों से मुझे इंतजार था आप ऐसे ही एक रात को आओगे। अंदर आइएगा।" बापू अंदर आ गया! शांता ने ट्यूबलाइट जलाई और उसे कुर्सी दिखा कर बोली "बैठिए बापू।" वह थका उदास बैठते हुए फटी आवाज में बोला "शांता!" "हां।" "तुम्हें यह सब न्याय लग रहा है ?" "क्या ?" "अब मैं तुम्हारे रास्ते के बीच में नहीं आऊंगी कह कर