मासूम गंगा के सवाल (लघुकविता-संग्रह) शील कौशिक (7) नाम की डुबकी ***** पाप और पुण्य की अवधारणाओं से दूर गंगा की दिव्य अनुभूति से अभिभूत हो लगा ली एक डुबकी उन सभी के नाम की जो आ नहीं पाते यहाँ पर उनकी आकांक्षाओं में सदैव शामिल होती है गंगा की डुबकीI सार्थकता नदी की ******* दोनों हाथ जोड़ कर खड़ी थी गंगा किनारे सकुचा रही थी कैसे धरूँ पैर गंगा के उजले तन पर तभी पानी की एक तेज लहर आई पौड़ी पर रखे मेरे पैरों को भिगो गई सार्थकता अपनेपन की दर्ज करा गईI बहते सपने ********* जब-जब भी