मासूम गंगा के सवाल - 5

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मासूम गंगा के सवाल (लघुकविता-संग्रह) शील कौशिक (5) दीक्षा गंगा की ******* गंगा गंगा है वह कभी नहीं देना चाहती पलट कर जवाब मिली है उसे कठोर दीक्षा जन्म से ही जीवनदायिनी बनने की बिना धर्म और जाति के भेदभाव सबको निश्छल अमृत बाँटने की मौन में उतर कर चुपचाप बहते रहने की यही है नदी की संस्कृति I गंगा नाम सत्य है ****** छीन कर पेड़ों की जगह जकड़ ली कंक्रीट और इन्टरलॉक टाइलों में फैला ली दूर तलक अपनी चादर कर दिया बाधित नदी का पेड़ों की जड़ों से मिलना वेंटीलेटर पर है गंगा अब छोड़ दिया उसे