उसकी वापसी कैलाश बनवासी मैं यहाँ नहीं रहना चाहती! बिलकुल भी नहीं रहना चाहती!ये जगह बिल्कुल भी अच्छी नहीं है!पिछले तीन दिन से, जब से मुझे होश आया है, मम्मी से बस यही जिद करती हूँ कि मुझको यहाँ से ले चलो...ले चलो...। पर मम्मी है जो सुनती ही नहीं। बोलती है-हाँ बेटा, बस। कल हम लोग चले जाएंगे। रोज बोलती है कि हम कल चले जाएंगे करके। बोलते-बोलते अक्सर मम्मी की आँखों में आँसू आ जाते हैं। मैं जानती हूँ, वो मेरे लिए रोती है...मैं बीमार जो हूँ। मैं मम्मी को नहीं रूलाना चाहती। मैं कोई गंदी बच्ची थोड़ी