एबॉन्डेण्ड - 10

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एबॉन्डेण्ड - प्रदीप श्रीवास्तव भाग 10 चलने से पहले युवक के कहने पर युवती पेपर्स वाली पॉलिथीन, चटाई पर से उठाकर फिर से सलवार में खोंसने लगी तो युवक ने ना जाने क्या सोचकर उसे लेकर अपनी शर्ट में आगे रखकर बटन लगा ली। और पूछा, ‘तू इतनी दूर तक पैदल चल लेगी?’ ‘जब मौत सिर पर आती है तो सात-आठ किलोमीटर क्या आदमी सत्तर-अस्सी किलोमीटर भी चला जाता है और तुझे पाने के लिए तो मैं पूरी पृथ्वी ही नाप लूंगी।’ ‘तो चल निकल। नापते हैं सारी पृथ्वी। मेरा हाथ पकड़े रहना। छोड़ना मत। जल्दी-जल्दी चलो।’ दोनों बड़े हिम्मती