एबॉन्डेण्ड - 6

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एबॉन्डेण्ड - प्रदीप श्रीवास्तव भाग 6 ‘इतना डरने से काम नहीं चलेगा। इतना ही डरना था तो घर से निकलती ही ना। मैंने तुम्हें पहले ही कितनी बार बताया था कि हिम्मत से काम लेना पड़ेगा, तभी निकल पाएंगे। डरने से कुछ नहीं होगा, समझी। इस तरह डरोगी तो ऐन टाइम पर सब गड़बड़ कर दोगी। सबसे अच्छा है कि इस समय कुछ भी बोलो ही नहीं। रात गहराती जा रही है, ढूंढ़ने वाले पूरी ताकत से चारों तरफ लगे होंगे। सब इधर-उधर घूम रहे होंगे। इसलिए एकदम सांस रोक के लेटी रहो या बैठी रहो। जैसे भी रहो, आवाज़