बग़ावती कोरस - संपादक सुघांशु गुप्त

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आमतौर पर चली आ रही व्यवस्था के खिलाफ जाना, विद्रोह करना बगावत कहलाता है। बगावत पुरानी हो, जंग खा चुकी बेड़ियों को नकारने का आह्ववान है, दकियानूसी विचारधाराओं को तिलांजलि देने का माध्यम है। साथ-साथ बगावत सैंकड़ों बरसों से चली आ रही ग़लत मान्यताओं से छुटकारा पा लेने का भी साधन है।पुराने इतिहास को अगर खंगाल कर देखें तो हम पाते है कि समाज में जब भी किसी बगावत को अंजाम दिया गया तो पुरुषों द्वारा ही उसे, उसकी परिणति तक पहुँचाया गया। चाहे वो अंग्रेज़ों के ख़िलाफ़ भारतीय फौज द्वारा 1857 में किया गया विद्रोह हो या फिर रूस