पी.के. (2) “चाय पीने.” “मैं पिलाउंगा चाय आज आपको.” पीके बोला और साथ हो लिया था. वह कुछ नहीं बोल पाया था, लेकिन तभी उसके मन में एक बात पैदा हुई थी और उसने सोचा था कि चाय पीते हुए वह पीके से अपनी बात कहेगा. “यह मेरे सहयोगी नबारिया हैं. दस बजे से पांच बजे तक की ड्यूटी पर हैं. पीछे बैठते हैं---“ उसने नबारिया से हाथ मिलाया. “पीके की ड्यूटी तीन बजे तक है. उसके बाद आपको जब भी कोई पुस्तक की जरूरत हो और न मिल रही हो तब मुझे बताएंगे.” नबारिया बिना कुछ कहे ही अपनी