दास्ताँ ए दर्द ! - 13

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दास्ताँ ए दर्द ! 13 ज़ेड जैसे एक अलग सी लड़की थी, कुछ न कुछ ऊट - पटांग करती ही रहती |कभी बेकार ही रीता के घर की ओर देखकर मुस्कुराकर असमंजस में डाल देती तो कभी अजीब से चेहरे बनाकर कुछ गाली सी देती रहती | प्रज्ञा ने महसूस किया उसका व्यवहार नॉर्मल तो नहीं ही था | जैसे किसी से बदला लेने की उलझन में सदा उसके दिमाग़ की चूलें ढीली होतीं तो कभी बेबात ही जैसे ज़रूरत से अधिक कस जातीं | जब भी प्रज्ञा की दृष्टि उस पर पड़ती, वह असहज हो उठती | उसने रीता से कई बार इस