मेगा 325 हरीश कुमार 'अमित' (6) मम्मी-पापा के वापिस चले जाने के एक सप्ताह बाद की बात है. शाम के समय अचानक शशांक के मन में आया कि क्यों न पापा के नए आविष्कार की गोली खाकर देखी जाए. वैसे तो पहले उसने यही सोचा हुआ था कि उस गोली को अभी दो-चार महीने संभालकर रखेगा, मगर अचानक ही उसे लगा कि उस गोली को अभी खाया जाए और देखा जाए कि फिर उसके बाद क्या-क्या हंगामे होते हैं. गोली खाने के लिए वह अपने कमरे में गया और अलमारी खोलकर वह शीशी तलाशने लगा जिसमें उसने वह गोली रखी