मेगा 325 हरीश कुमार 'अमित' (4) अगले सप्ताह रविवार की सुबह मम्मी-पापा को आना था. शशांक बड़ी अधीरता से उन दोनों के आने की प्रतीक्षा कर रहा था. बड़े दादा जी को भी उन लोगों का बहुत इन्तज़ार था. मम्मी-पापा ने अपने यान से आना था. उनके यान ने उसी गगनचुम्बी इमारत की छत पर उतरना था जिसमें शशांक और बड़े दादा जी रहते थे. पापा ने फोन पर बताया था कि वे लोग शनिवार की रात को मंगलग्रह से चलेंगे और रविवार की सुबह ठीक नौ बजे उस गगनचुम्बी इमारत पर उतर जाएँगे. बड़े दादा जी और शशांक ने