क्रान्तिकारी (3) कितने ही दिनों तक यह सिलसिला चलता रहा. शांतनु बच्चा बाबू के घर के निरन्तर चक्कर लगाता रहा और 'भाग्यवती कॉलेज' में उसके तदर्थ नियुक्ति की अवधि वर्ष दर वर्ष बढ़ती रही. पांच वर्ष यों ही व्यतीत हो गये. इस मध्य राखी और शांतनु की मित्रता भी प्रगाढ़ से प्रगाढ़तर होती रही. राखी अपने कार्यालय में तदर्थ से स्थायी हो गई थी और प्राध्यापकी पाने के लिए उसने पी-एच.डी. के लिए मेरठ विश्वविद्यालय से रजिस्ट्रेशन भी करवा लिया था, लेकिन शांतनु अधर में लटका था. इसीलिए वह राखी के समक्ष कोई प्रस्ताव नहीं रख पा रहा था. लेकिन