जी-मेल एक्सप्रेस - 23

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जी-मेल एक्सप्रेस अलका सिन्हा 23. बड़े अधिकारियों की छोटी करतूतों का पर्दाफाश घर पहुंचा तो विनीता ने देखते ही सवाल किया, “हमारे दफ्तर में आज दिन भर तुम्हारे दफ्तर की चर्चा होती रही।” उसकी आंखों में हैरानी से अधिक अविश्वास था। “मुझे तो खुद यकीन नहीं हो रहा।” बिना पूरी जानकारी के, मैं पूर्णिमा के बारे में कोई राय नहीं देना चाहता था। विनीता ने टीवी ऑन कर दिया और चैनल पर चैनल बदलने लगी। तीन दिन पहले हुए पर्दाफाश के बाद कोई नई जानकारी इनके पास नहीं थी मगर चैनलों ने इस खबर से फैली सनसनी को बनाए रखा