जी-मेल एक्सप्रेस अलका सिन्हा 22. जिगोलो यानी... मेल प्रॉस्टीट्यूट बाहर कोरीडोर में लोगों की आवाजाही शुरू हो गई थी। कान में मोबाइल से संगीत का लुत्फ उठाते चपरासी साहब दोनों हाथ पैंट की जेबों में डाले, मस्त चाल के साथ चले आ रहे थे। ‘‘अरे प्रीतम, यहां की फाइलें कहां गईं?’’ उसका शाही अंदाज मुझे और भी व्यग्र कर रहा था। ‘‘कहां गईं मतलब? ...आप तो ऐसे कह रहे हो जैसे आपको कुछ पता ही न हो!’’ लो, कर लो बात, सवाल के जवाब में सवाल। ‘‘अरे यार, मैं तो दस दिन बाद आ रहा हूं, ट्रेनिंग पर गया था