शक्तिला

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आज पूरी रात ठीक से सो नहीं पाई शक्तिला, नींद आती भी कैसे ! हंसती खिलखिलाती, जीवन के उमंगों से भरपूर, वह मासूम सी लड़की कब बचपन की दहलीज लांघ कर, यौवन की सपनीली दुनिया में प्रवेश कर गई,उसे खुद भी खबर नहीं हो पाती अगर अमिताभ सर ने अपना रंग नहीं दिखाया होता।सात दिन इसी कशमकश में गुजारी उसने, द्वंद्व के समंदर में फंसकर नींद तो जैसे उससे रूठ ही चुकी थी।माँ, जो उसके चेहरे से उसके मन को समझती है कि उनकी गुड़िया परेशान है, बार - बार पूछती रही, "कुछ तो हुआ है शक्तिला,आजकल इतनी गुमसुम सी