दरमियाना भाग - १८ कुछ दिन उधर जाना नहीं हुआ, तो यह बात भी आर्इ-गर्इ-सी हो गयी। न मैंने कभी सुनंदा से इस बात का जिक्र किया... और न ही उसने कोर्इ सफार्इ देना जरूरी समझा। यूँ भी अब उस घर में केवल सुनंदा से ही मेरी घनिष्टता नहीं रह गर्इ थी। इस घटना से पहले भी मैं अनेक बार वहाँ गया था। कर्इ बार ऐसा भी होता कि सुनंदा वहाँ नहीं होती। किसी बधार्इ पर या अपनी किसी चेली के साथ... और या फिर किसी और काम से कहीं गर्इ होती। तब या तो मैं सुलतान को पढ़ाने लगता