बहीखाता - 23

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बहीखाता आत्मकथा : देविन्दर कौर अनुवाद : सुभाष नीरव 23 गर्भपात सितंबर का महीना आने से पहले ही हम इंडिया जाने की तैयारियाँ करने लग पड़े। चंदन साहब ने अर्ली रिटायरमेंट के लिए आवेदन कर दिया। अब वह दिल्ली में स्थायी रूप से रहना चाहते थे। वह बार-बार कहने लगते कि वह दिल्ली जाएँगे और साहित्य जगत में छा जाएँगे। साहित्य जगत में तो वह अब भी छाये हुए थे, पर उन्हें तसल्ली नहीं थी। मैं इंग्लैंड में रहने आई थी और वह वापस दिल्ली जाना चाहते थे। जो उनका निर्णय था, उसके आगे सिर तो झुकाना ही था। उन्होंने