आदमखोर - 2 - अंतिम भाग

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आदमखोर (2) "लम्बरदार, आप----?" साश्चर्य उसने पूछा. "कौ---कौ----कौन---?" "मैं हूं सरजू, लम्बरदर!" "स----स----स---र---- जू----ग----ग----- जब-----ठण्ड ----है----. लगता है----प्राण निकल----जायेंगे." किसी प्रकार रमेसर सिंह कह पाये. सरजुआ चुप रहा. रमेसर सिंह को कांपता-दांत किटकिटाता देख उसे अच्छा लग रहा था. "----बूढ़ा----खूसट----खूब गरीबन का खून चूसा है तैने---- अब कहां गई ऊ हेकड़ी----." वह मन-ही मन बुदबुदाया. "क्या----करने आया था रे यहां?" "आपै ते तो पूछा रही लम्बरदार पतावर खातिर. आज सुब्बो से वही काटित रही." "ओह---ठीक है -- ठीक है. हे भगवान--- फसल तो सब सत्तानास हो गई. लागत है पत्थर गिरी----." सरजुआ फिर चुप रहा. इस समय उसके दिमाग में