जब आप किसी विश्वास के तहत किसी लेखक की किताब को पढ़ने के लिए उठाते हैं और उसमें आपकी उम्मीद के विपरीत अगर अलग तरह का पढ़ने को मिल जाए तो आपका आश्चर्यचकित होना स्वाभाविक है। ऐसा ही कुछ इस बार मेरे साथ हुआ जब मैंने बहुमुखी प्रतिभा के धनी किशोर श्रीवास्तव जी के कहानी संग्रह "कही अनकही" जो कि उन्होंने मुझे भेंट स्वरूप प्रदान किया, को पढ़ना शुरू किया। सीधी...सरल...प्रवाहमयी भाषा में लिखी गयी उनकी कहानियाँ दर्शाती हैं कि वे अपने आसपास के माहौल पर गहरी नज़र रखते हैं और हर छोटी बड़ी बात उनकी पकड़ में आए बिना नहीं