परियों का पेड़ (5) ममता की चाह लेकिन उसके पिताजी आगे कहते जा रहे थे – “फिर यह भी तो है कि तुम उस भयानक जंगल में कैसे जा सकते हो ? तुम सचमुच में वहाँ जाने की कभी कोशिश भी मत करना | अकेले तो एक सीमा से आगे जाने की मेरी भी हिम्मत नहीं पड़ती, जबकि मेरी बड़ी सी कुल्हाड़ी मेरी सुरक्षा के लिए हमेशा मेरे साथ होती है | तुम तो अभी छोटे से बच्चे ही हो |” - “ओह बापू ! तब तो मैं उस पेड़ तक कभी नहीं जा पाऊँगा ?” “हाँ, तुम ऐसा करने