कर्म पथ पर Chapter 9मानस को जेल भिजवाने के बाद से ही श्यामलाल बहुत खुश थे। उन्हें लग रहा था कि यह केस जीत कर उन्होंने खुद को अंग्रेज़ी हुकूमत की नज़रों में चढ़ा लिया है। बाकी जो कुछ रही सही कसर है वह जय के नाटक से पूरी हो जाएगी।इतने सालों में पहली बार उन्हें अपने बेटे जय पर गर्व हो रहा था। अब तक उसने सिर्फ उनकी दौलत खर्च करने का काम ही किया