सुलोचना - 1

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वैसे तो राकेश लगभग हर साल गर्मी की छुट्टियों में नानी के घर मिर्जापुर जाता था पर इस बार दो साल बाद आया था तो मन कुछ ज्यादा ही खुश था, मामा मामी और सभी बच्चे किसी शादी में गए थे घर पर सिर्फ नानी नाना ही थे थोड़ी देर उनसे यहां वहां की बात करके राकेश खेत और बाग घूमने अकेले ही निकल गया , जेठ की तपती धूप जैसे शीशे सी चमक रही थी सर पर गमछा बंधे राकेश वर्षो पुराने आम के पेड़ के नीचे छाँह में रुक गया ऊपर देखा तो आम की छोटी छोटी अमोरी