दोषमुक्त

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फोन की घंटी लगातार बजे जा रही है। और उसके साथ ही सुमन की घबराहट, "क्या करूँ उठाऊं की नहीं.. नहीं उठाऊंगी.. नहीं दे पाऊँगी अब और जवाब, क्या जाने अंजलि क्या सोच रही होगी मेरे बारे में.." ये सब सोचते हुए आंसुओं की धार बह चली और सुमन पछताने लगी अपने कृत्य पर, हाँ उसे अभी तक ये समझ में नहीं आया था की गलती क्या थी पर इतना वो जान चुकी थी की शायद उसने सामाजिक मापदंडों को तोड़ने की बड़ी भूल कर दी थी। परसों की तो बात थी, जब एक कार्यक्रम के बाद