जन्म या मृत्यु

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कहानी - जन्म या मृत्युउस रात कड़ाके की ठंड थी। दूर-दूर तक कोहरा पसरा हुआ था।वाचमैन भी कंम्बल में दुबका था। एक तो ठंड की हद उस पर अमावस की रात, सोने पर सुहागा। हाथ को हाथ सुझाई नही दे रहा था। एक अजीब सा सन्नाटा था।दीपशिखा के भीतर एक दुखती सी बेचैनी मचल रही थी, जो लगातार बढ़ती जा रही थी। उसने खिड़की से बाहर झाँका।सोहलवे माले से नीचे का कुछ खास, साफ दिखाई नही देता।उसने खिड़की को बन्द कर दिया और वापस बिस्तर पर आकर लेट गई।अभी लेटी ही थी, कि पेट में एक सिहरन सी हुई। वहाँ