सच की तस्वीर

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आनंद जी अनमने मन से हर तस्वीर को देखते जा रहे थे। विद्यालय के प्रिंसिपल महोदय उनके साथ थे और सारे विद्यार्थी सांस रोके इस प्रतीक्षा में थे कि, जिसकी बनाई तस्वीर को प्रथम पुरस्कार मिलेगा, उसके नाम की घोषणा कब होगी। आनंद जी आज इस प्रदर्शनी में मुख्य अतिथी एवं निर्णायक बन कर आये हुए थे, वो एक विश्वविद्यालय के कुलपति थे। शहर के एक प्रधान विद्यालय के बच्चों की प्रतिभा जो ड्राइंग शीट पर उकेरी हुई है, उसको सम्मानित करने के उद्देश्य से मुख्य निर्णायक के रूप में उन्हें आमंत्रित किया गया था । दोपहर के इस कार्यक्रम