चल उड़ जा रे उड़ जा पँछी ऊंचे गगन में

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चल उड़ जा रे उड़ जा पंछी ऊंचे गगन की ओरतुझे परिवार सवारना है तुझे घर बसाना है ,चल उड़ जा गगन की ओर दो तिनको की होड़ में तुझे परिवार सवारना है तुझे कल को बनाना है ।। खत्म हुए दिन उड़ डाली के जिस पर तेरा बसेरा था आज यहाँ और कल हो वहाँ ये जोगी वाला फेरा था ,सदा रहा है इस दुनिया मे किसका आबू-दानातुझे इस बैसक मौसम में है खुद को ढालना ।चल उड़ जा रे उड़ जा पंछी ऊंचे गगन की ओरतुझे परिवार सवारना है तुझे घर बसाना है ।। तूने तिनका-तिनका चुग कर नगरी एक