हाय रे विज्ञापन !

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मैं श्री कृष्ण का शुद्ध भक्त हूँ । प्रतिदिन सुबह - सुबह मंदिर अवश्य जाता हूँ । मंदिर जाने से दिल और दिमाग दोनों पवित्र हो जाते हैं । बीते दिन के पाप धुल जाते हैं । तन और मन पुनः ‘माया‘ का आलिंगन करने के लिये आतुर हो जाता है । आफिस जाकर ‘माल ‘ की तलाश में फाइलें दबाने को मन ललकता है । लेकिन , डाक बाबू के पेशे में माल कहां ! आयकर या उत्पाद शुल्क अधिकारी होता तो बात अलग थी । यहां तो महीने की पच्चास आते - आते चार-पाच हज़ार की उधारी हो जाती